मोहब्बत रूह की | कहानी | प्यार की कहानी | सच्ची प्रेम कहानी | बचपन की मुहोब्बत | School love story | Ambika Rahee

  आज मैं एक कहानी सुनाने जा रहा हूं जिसका शीर्षक है

" मोहब्बत रूह की"


आज भी मैं रोज की तरह तैयार होकर पीठ पर अपने स्कूल का बैग लादकर साइकिल साइकिल पर सवार होकर घर से थोड़ी दूर खड़ंजा रास्ता आने ही वाला था, तभी मुझे पीछे से किसी की होने का एहसास हुआ,


और मैं पीछे मुड़ा तू देखा यहां आस-पास कोई नहीं था थोड़ा और दूर देखने पर साइकिल से आता हुआ कोई दिखा,


जब वह और करीब आ गया ना चाहते हुए भी मेरी धड़कनों ने इतनी स्पीड बढ़ा दी मुझे समझ नहीं आ रहा था मेरे साथ क्या हो रहा है, क्योंकि सामने वही चेहरा था जिसे मैं रोज छुप छुप कर देखा करता था,


आज मेरा शरीर इस तरह कंपन कर रहा था जैसे कोई पहली बार अकेले ही बाइक सीखने के लिए निकल जाता है, मेरे पैर ना चाहते हुए भी हिल रहे थे,


शायद उसने मेरी हालत को महसूस कर लिया था, और इसीलिए वह अपनी साइकिल के धीरे-धीरे पेंडल मारते हुए एक हल्की सी मुस्कान देते हुए मेरे सामने से निकल गई वजह से जैसे दूर होती गई मेरी धड़कनों की रफ्तार भी कम होती गई|


आपने भी कभी न कभी इस पहले एहसास को जरूर महसूस किए होंगे, मैं यकीन से कह सकता हूं आप दुनिया में कितने भी आगे बढ़ जाएं लेकिन वो पहली मोहब्बत की पहली मुस्कान आपको हमेशा याद आती है|


उसके बाद मैं भी अपनी साइकिल पर थोड़ी दूरी बनाकर उसके पीछे चलने लगा कुछ दूर चलने के बाद हम स्कूल पहुंच गए इसके बाद मोहब्बत का बसंत का दिन आया जब हम उन्हीं रास्तों पर साथ में साइकिल चलाते हुए एक दूसरे से बातें करते हुए मुस्कुराते हुए स्कूल जाया करते थे,


उन दिनों हम जितना खुश रहा करते थे उतना ही नाराज उन रास्तों के लोग हुआ करते थे, मुझे आज तक नहीं समझ में आता क्या खेलो और लोग हम पर नाराज क्यों होते थे क्या लोगों को प्यार अच्छा नहीं लगता या वही लोग जो मुझे देख कर नाराज होते थे क्या उनको प्यार मिले तो क्या प्यार से मना कर देंगे, यह बात हमेशा याद आ जाती थी जब मैं किसी ऐसे व्यक्ति से मिलता था


लेकिन जब मैं उसके करीब आता था इन सब सामाजिक बातों को मैं भूल जाता था ऐसा लगता था मैं एक अलग दुनिया में जी रहा हूं जो लोग मुझसे नफरत करते थे न जाने क्यों उन पर भी प्यार आता था सब कुछ मेरे साथ ऐसा हो रहा था जैसे मेरे आंखों के सामने कोई रोमांटिक पिक्चर चल रही हो



 उसके लिए इतना प्यार इतना सम्मान जाने कब दिल में भर गया, महसूस नहीं कर पाया, वक्त के साथ साथ, उसके लिए मेरे दिल में जगह बढ़ती गई,


हां शायद उसे भी मोहब्बत हुई थी नहीं तो मेरे पास, मेरे साथ, निर्भीक होकर नहीं घूमती, मुझसे अक्सर कहती थी

"अंबिका तुम्हारे पास आकर मैं खुद को स्वतंत्र महसूस करती हूं"

यह उसके शब्द मेरे दिल में एक हलचल पैदा कर देते थे, ऐसा नहीं था सिर्फ वही स्वतंत्र महसूस करती थी, उसके पास मैं भी खुद को स्वतंत्र और खुश महसूस करता था |


धीरे-धीरे वक्त बीता और, दो दिलों को मिलाने वाला दिन, वैलेंटाइन का दिन, 14 फरवरी करीब आ रहा था, मेरे मन में एक ख्याल चल रहा था, मैंने भी एक प्लान बना दिया उसको प्रपोज करने का, हां औरों की तरह मैंने भी वैलेंटाइन के दिन ही प्रपोज किया था |


मेरे बाजार में जो गुलाब के फूल मिलते थे उनमें खुशबू तो रहती थी लेकिन जैसे पिक्चरों में देखने को मिलता है वैसे गुलाब नहीं होते, इसीलिए मैंने इलाहाबाद से गुलाब मंगाए थे |


आज वक्त था मैं उन्हीं सड़कों पर उसके आने का इंतजार कर रहा था, जैसे ही उसको दूर से आता देखा मेरी धडकने बढ़ने लगी , और मेरा गुलाब, जो मेरे हाथ में था मेरे पीठ के पीछे होने लगा


वैसे तो मैं उससे बहुत सारी बातें करता था लेकिन प्यार का नाम आते हैं मुंह से जैसे शब्द ही नहीं निकलते थे


मेरे पास आकर उसने अपनी साइकिल खड़ी कर दी, और मैं जैसी ही उसको आई लव यू बोलने वाला था उसके पहले ही रोमांटिक स्टाइल में, अपने कॉलर के पीछे से एक गुलाब निकाला और मुझे आई लव यू कह दीया


उसके बाद मेरे अंदर से भी डर जैसे निकल ही गया मैंने भी अपना गुलाम निकाला और उसको पकड़ा दिया और उसके बाद मैं कुछ कहूं उससे पहले उसने अपने हाथ फैला दिया, मेरे साथ यह सब पहली बार हो रहा था,


उसको गले लगाने के बाद मुझे वह एहसास हुआ जो शायद फिर कभी नहीं हो सकती है


" मुझे एक बात समझ में आ गई जब प्यार दोनों तरफ से हो जिंदगी बड़ी आसान लगती है"


फिर उसके बाद वक्त आया कॉलेज बंद होने का लेकिन मेरी आदत उसको देखने की नहीं बंद हुई मैं 2 किलोमीटर दूर चक्कर काटकर उसके घर के पास से गुजरता था और उससे पहले ही बता देता था कि मैं इतने बजे तक आ जाऊंगा इस तरह हम लोग घर के पास एक दूसरे को देख लेते थे लेकिन बात नहीं कर पाते थे


फिर शाम को मैं जानबूझकर थोड़ा अंधेरा होने पर निकलता था और मैं देखता था क्यों हर रोज मेरा इंतजार करती हुई मिलती थी


जैसे ही मेरी साइकिल खड़ी होती बाहें फैलाकर इस तरह गले लगाते जैसे हम बरसो बाद मिल रहे हो


" आपको भी प्यार का आनंद लेना हो तुम मोहब्बत में थोड़ा इंतजार कर लेना दिल में थोड़ा तड़प पैदा होने दो"


 मुझे लगता था हम दोनों एक दूसरे को बहुत समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं था, शायद उसकी मोहब्बत उसकी जरूरत थी, और उसकी जरूरत उसे ऐसा करने पर मजबूर कर रहे थे


एक बात बने बताना भूल गया यह शायद आप लोगों के साथ भी हुआ हो घर में मैं सबसे छोटा सदस्य हूं अपने भाई बहन में इसलिए मेरे घर में पहले एक रेडियो हुआ करता था जो मेरी बहन बैठकर सुनती थी जैसा कि मैंने पहले ही बताया मैं छोटा होने की वजह से मैं कोई चैनल नहीं बदल पाता था रेडियो का कंट्रोल मेरे हाथ में नहीं रहता था इसलिए मजबूरी में मुझे भी पुराने गाने विविध भारती सुनना पढ़ता था, लेकिन बाद में धीरे-धीरे यह मजबूरी मुझे अच्छी लगने लगी पुराने गानों के लिरिक्स मैं सुनकर उसके निष्कर्ष निकालने लगा मैं कोई भी गीत सुनता तो उसका निष्कर्ष बिना सोचे में नहीं रह पाता इस तरह पुराने गाने मेरे भी प्रिय हो गए |


लेकिन जब बात मोहब्बत की है तुम मेरी अंदर न जाने कैसी बदलाव हो गई मेरा किसी ने पूर्व मस्तिष्क ही बदल दिया जिन गानों को मैं इग्नोर करता था नए गाने मुझे इस तरह पसंद आने लगे कि मैं किसी एक गाने की धुन मेरे मन में चलने लगती तो तीन-चार दिन से पहले मैं उसको गुनगुनाना बंद नहीं करता था


उस समय अरमान मलिक के गाना था

" हुआ है आज पहली बार जो ऐसे मुस्कुराया हूं,

तुम्हें देखा तो जाना मैं कि क्यों दुनिया में आया हूं"


यह गाना मैंने गलती से किसी के मोबाइल में सुना था हां उसी समय मुझे यह इतना पसंद आया कि मैंने तुरंत अपने मोबाइल में इंटरनेट ऑन किया और इस गाने को डाउनलोड किया


उसके बाद यह गाना 3 दिनों तक मेरे जहान में, गूंजता रहा |


कुछ दोस्तों मेरे इस नए लुक का आनंद और मजाक बनाने से नहीं घबराते थे



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